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Showing posts from December, 2017

कि हाँ तुम ही तो...

कि हाँ तुम ही तो,  सबसे बेहतर साथ हो तुम मेरा, हर एक आरजू, हर मुलाक़ात ,हर जज्बात हो तुम मेरा। किसी भी फलक में तुमसे बातें सुकून का चेहरा दिखाती हैं, कि रूबरू हर रंग से ... और हर हालात ...

ताउम्र...

तुझे देखूँ या तुझसे बात करूं, मैं बादल हूँ क्या बरसात करूं। और...मुद्दतों से है मन मेरा कि, कभी इबादत तेरे साथ करूं। मैं तो हर रोज मरा हूँ तेरे खातिर, सोचता हूँ कि तेरे मन में भी क...

बेबसी...वक़्त ये बस बह रहा।

सितारे...आसमां या ये पेड़ बेबस सा दिख रहा, सिमट सा गया है खुद में ये जितना कुछ है दिख रहा। चाहता हूँ कि बोलूँ...बहुत कुछ मैं सुना दूँ, सुनूँ बेबसी पत्थर की कुछ, बहुत कुछ है जो कह रहा। ...

दरिया-ए-दर्द।

कहाँ तक डुबोने का मन है मुझे ऐ दरिया-ए-दर्द, आ का तुझमे घुल जाऊं ...तसल्ली से दरिया-ए दर्द। वो के छूकर बहुत गहरा निकल गया मुस्कुराकर, पता बहुत देर से हुआ कि ...वो तो था ही बस बेदर्द। अ...

बिखरा है।

कि अंदर का वो शख्स कुछ उलझा हुआ सा है, जरूरत क्या है उसको बस बहका हुआ सा है। परदे बेशुमार डाले हैं झूट के बाहर से काले रंग के, अंदर कई बार नंगा नजर आता है सहमा हुआ सा है | बस साँसों ...

समझ नहीं आता...

ये किरदार न जाने क्यों समझ नहीं आता कि जाने, क्या कहते-कहते रुक जाना समझ नहीं आता। परिन्दों ने बनाया खूबसूरत आसमां को है, पर कुछ परिंदों का यूं लौटके न आना समझ नहीं आता। कहाँ ...

कोई बात तो है...

रुका-रुका है वक़्त आज कोई बात तो है, भीग गया हूँ धूप में कहीं बरसात तो है। मिलो हो ख़्वाबों में ही तुम कभी हकीकत दो, कहाँ गया चाँद मेरा की अभी रात तो है। 

हासिये पर...जिंदगी की ग़ज़ल

यूँ न जाना छोड़कर          हासिये पर मुझे..., कि जिंदगी की गज़ल,          मुकम्मल होने देना। कि एक मतला एक शेर,           और एक मिश्रा ही तो हुआ है अभी, जितनी बड़ी किताब-ए-मोह्हबत है हम...

बेजान सा...

कोशिश में हूँ बड़ी सिद्दत से            कि ये दिया जलता रहे, और एक तुम जो हर हवा का रुख           उसी तरफ मोड़ रही हो। कुछ नही है बात करने को           ये वो कह रहा है, जिसे हर बात ज्या...

कुछ लड़खड़ा लूँ...

गर अपना वक़्त थोड़ा सा दो तो मैं जिंदगी अपनी बढ़ा लूँ, तुम निगाहें जरा सा बंद करो तो मैं कुछ लड़खड़ा लूँ। सायों से रुबरु हूँ जबसे फासलों की तरफ तुमने रुख किया, लौटो जो वहीँ फिर तो मै...

चंद दिनों में...

चंद दिनों में सारे दोस्त बिखर जायेंगे अपने अरमानों में, और फिर न जाने कब मुलाक़ात होगी जमानों में। किसी से मुलाक़ात होगी किसी शहर में और, कोई मिलेगा शहर के मयखानों में। किसी क...

मुझे खाकभर कर दो।

कभी तुम मेरे घर की राहों से तो गुज़र लो, मुझसे न सही,मेरे साये से ही बात कर लो।  अब यूं ही इंतजार में हूँ बड़ी सिद्दत से, तुम कभी कहीं से तो मेरे हाल की खबर कर लो। रातें गुज़रती हैं तन...

कहाँ से लाऊँ

क्या करूँ बड़ी उलझन में हूँ ये सुकूँ कहाँ से लाऊँ, गर इस मौसम में आज मुलाक़ात न हो...                                      तो जेहन से बिखर जाऊं। नाम क्या दूं जो दरमियाँ है तेरे मेर...

उजड़ता गाँव......

आ के गुफ़्तगू करें हल्की धूप में सुकूं को छांव लेकर सुना के जमाना अब बिखरने वाला है...... तो चलें कहीं और मोहब्बत की नाव लेकर। अख़बारों में , टीवी के पर्दों पर हर रोज कई हादसे हैं उलझ...

जिन्दगी के लिए

मछली थी दरिया के बाहर तड़पती रही जिन्दगी के लिए हमने साँसे तक बेच डाली ताउम्र जिन्दगी के लिए। मिट्टी से मोह्हबत होती रही बेइन्तहां कुछ इस कदर कि मिट्टी में मिल भी जाएंगे इस...

डूबने की कगार पर

चारपाई का एक पहिया गिरने की कगार पर है, कि तुम अपनी कश्ती बचाओ ये डूबने की कगार पर है। कैसे हो सकता है वो शख्स आज अजनबी, कि जिसकी तस्वीरें कई दिल की दीवार पर हैं। यूं न देखो कि घो...

सुकूँ

क्या करूँ बड़ी उलझन में हूँ ये सुकूँ कहाँ से लाऊँ गर इस मौसम में आज मुलाकात न हो तो मैं ज़ेहन से बिखर जाऊं| नाम क्या दूँ जो दरमियाँ है तेरे मेरे ये रिश्ता कोशिश में हूं कि अल्फाज़ ...

तेरी हिचकियों में

तेरी हिचकियों में अपना नाम तुझ तक पहुंचा दूंगा, मैं यकीनन अपना सलाम तुझ तक पहुंचा दूंगा | ज़ेहन की दीवारें टूटकर बिखरने की कगार पर हैं, मेरी साँसों से अपना पैगाम तुझ तक पहुंचा ...