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न जाने कितने चेहरे...

ऐ चाँद चांदनी भर नजर मुझे दे दे खुद को देखना है कि दुनिया बहुत देख ली सूरज के उजालों में। फैली है नफरत हर जगह बिखरा पड़ा है लहू कि आदमी खाने लगा है नोचकर आदमी को ही। हर शाम थक हा...