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Showing posts with the label पठाल

पहाड़ अकेले हो गए हैं...

वो घर अब सांस नही लेता खंडहर हो चुका है कहीं खुशबू नही है न हलचल कहीं नज़र आती है। पिरामिडनुमा आकार में पठाल   से बनी हुई छतें थी और सांस लेता था कभी महकता सा घर था, कि  दीवारें ...