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मगर साथ तुम न थी...

सफर हंसी था तो मगर साथ तुम न थी फिजायें थी खुशनुमा बहुत मगर साथ तुम न थी। घरौंदे रेत के बनाये कई मैंने और उनमें मुद्दतों मैं रहा भी मगर साथ तुम न थी। महकते दरख्तों की शाखों पे ...