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एक भ्रम कहीं।

कहीं कोई स्वप्न देख रहा है और हम सब किरदार हैं उस स्वप्न के कुछ सहमे हुए, कुछ हँसते-खेलते, कुछ रोते हुए। हजारों आकाशगंगाएं, धरती, आसमान, सूरज चाँद-तारे आसमान भी क्या बस भ्रम ध...