चारपाई का एक पहिया गिरने की कगार पर है,
कि तुम अपनी कश्ती बचाओ ये डूबने की कगार पर है।
कैसे हो सकता है वो शख्स आज अजनबी,
कि जिसकी तस्वीरें कई दिल की दीवार पर हैं।
यूं न देखो कि घोड़ा किस ओर दौड़ रहा है,
मेरी नजरें तो बस घुड़सवार पर हैं।
Feb 2017
' अनपढ़ '
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Dr. Deepak Bijalwan
Poet, Translator