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Showing posts with the label चाँद

न जाने कितने चेहरे...

ऐ चाँद चांदनी भर नजर मुझे दे दे खुद को देखना है कि दुनिया बहुत देख ली सूरज के उजालों में। फैली है नफरत हर जगह बिखरा पड़ा है लहू कि आदमी खाने लगा है नोचकर आदमी को ही। हर शाम थक हा...

चाँद

चाँद चाँद की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि आप इसको जितनी देर हो सके देख सकते हैं। ये आपकी आंखों को चुभेगा नही सूरज की तरह। इसको देखना सिर्फ सुकून देगा। आँखों को जहन को। आंखों क...

कहाँ से लाऊँ

क्या करूँ बड़ी उलझन में हूँ ये सुकूँ कहाँ से लाऊँ, गर इस मौसम में आज मुलाक़ात न हो...                                      तो जेहन से बिखर जाऊं। नाम क्या दूं जो दरमियाँ है तेरे मेर...