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Showing posts with the label मुस्कुराहट

तुम बोल रही हो....

ओढ़कर एक चादर हया की जो न जाने कितनी गज़लें मुकम्मल कर रही है, तुम बोल रही हो। बहुत ही धीमी एक मुस्कुराहट जो कि न जाने कितने बेहतरीन लब्जों की एक तस्वीर उतार रही है कैनवास पर, त...