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कोई ख़्वाब नही है ये.....

कोई ख़्वाब नही है ये..... एक खुली वीरान जगह और मुझे बांध रखा है रस्सियों से नफ़रत की चारों तरफ पसरा हुआ है एक सन्नाटा एक खालीपन स्याह रात सा जो निघल लेती है सारा उजाला भीतर अपने, बह...