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मुलाक़ात

मैं अपने हृदय को अम्बर के उस ताक पर शाम बीतते ही रख दूँगा जहाँ असंख्य हृदयों की अपार ऊर्जाएं मौजूद है जो मानवीय इतिहास की पहली सीढ़ी से अब तक सफर में हैं; फिर उनका प्रतिबिम्ब ...

चंद दिनों में...

चंद दिनों में सारे दोस्त बिखर जायेंगे अपने अरमानों में, और फिर न जाने कब मुलाक़ात होगी जमानों में। किसी से मुलाक़ात होगी किसी शहर में और, कोई मिलेगा शहर के मयखानों में। किसी क...

कहाँ से लाऊँ

क्या करूँ बड़ी उलझन में हूँ ये सुकूँ कहाँ से लाऊँ, गर इस मौसम में आज मुलाक़ात न हो...                                      तो जेहन से बिखर जाऊं। नाम क्या दूं जो दरमियाँ है तेरे मेर...