कभी तुम मेरे घर की राहों से तो गुज़र लो,
मुझसे न सही,मेरे साये से ही बात कर लो।
अब यूं ही इंतजार में हूँ बड़ी सिद्दत से,
तुम कभी कहीं से तो मेरे हाल की खबर कर लो।
रातें गुज़रती हैं तनहाई की चीखों में,
जितना खाली हो गया हूँ लौट के फिर मुझे भर दो।
उम्मीद लगाये बैठा हूँ कि ये चाँद घर ले जाऊँ,
तुम आके मुझे रात से दोपहर कर दो।
कुछ लोग कान में कह गए हैं कि मर चुका हूँ मैं,
अरे यार कोई जाके मेरे घर में खबर कर दो।
न जरूरत लकड़ियों की न शमसान में ले जाओ मुझे ,
तुम आके मेरी वफाओं से मुझे खाकभर कर दो।
मिलके यूं खामोश रहकर इधर-उधर न झाँको,
अरे अपना नया हाल न सही,कोई पुरानी बात कर दो।
27 जुलाई 2017
'अनपढ़'
Amazing sir
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