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एहसास

तुम थी? एहसास नहीं था  कि तुम हो चुप...चुपचाप सरककर  चुप हो गया  इसी बीच तुम चुपके से आई और मुझे चुप के वृत्त में  त्रिज्या से लटककर रहना पड़ा तुम आयी? एहसास नहीं था  कि तुम आयी केंद्र से निकलती हुई तुम्हारी ऊर्जा  मुझे उसकी परिधि में समा रही थी केंद्र में तुम थीं? एहसास नहीं था  कि केंद्र में तुम थी तुम एहसास थी जो चुपके से एहसास हो गयी और मैं हवा में उड़ते हुए रंग तरंगित होते देख रहा था। 18 मार्च 2021 अनपढ़

कुछ किताबें...

पोटली एक ख्वाबों की कहीं दफ़्न हुई इतिहास में, और उड़ गया वो हवा सा जो कुछ भी था मेरे एहसास में। कुछ लकीरें मिट गई हैं हाथ से मेरे कहीं सब खो गया जैसे कहीं अब है नही कुछ पास में। क...

और सामने होती हो तुम...

मैं लेकर आया चंद बून्दें उस दरिया से जहाँ पहुंचा मैं कुछ पेचीदा रास्तों से होकर और लिख दिया तेरा नाम एक सादे कागज पर, और हां मुकम्मल हो गयी एक कहानी, ये महसूस भी नही होता कि क...

कि हाँ तुम ही तो...

कि हाँ तुम ही तो,  सबसे बेहतर साथ हो तुम मेरा, हर एक आरजू, हर मुलाक़ात ,हर जज्बात हो तुम मेरा। किसी भी फलक में तुमसे बातें सुकून का चेहरा दिखाती हैं, कि रूबरू हर रंग से ... और हर हालात ...