तुझे देखूँ या तुझसे बात करूं,
मैं बादल हूँ क्या बरसात करूं।
और...मुद्दतों से है मन मेरा कि,
कभी इबादत तेरे साथ करूं।
मैं तो हर रोज मरा हूँ तेरे खातिर,
सोचता हूँ कि तेरे मन में भी कोई जज्बात भरूँ।
सजदा है दिल ये उल्फत में तेरी,
इस उम्र,ताउम्र हर पल मैं तेरी चाह करूं।
Copyright @ 'अनपढ़'
21अगस्त 2015
बस कुछ वक़्त डाल दे, 'अनपढ़' की झोली में,
ReplyDeleteचाहे नामुमकिन हो उसे पाना, उसे मुमकिन करूँ