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Showing posts with the label खँडहर

बाकी तो है...

है अलख धीमा अभी अँधेरा कुछ बाकी तो है, पलकें भी हैं सुस्तायी हुयी सबेरा कुछ बाकी तो है। खँडहर में इस दौर में अब जाले हैं फैले मकड़ियों के, बिखरा पड़ा है टूट के सब बस राख कुछ बाकी त...