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Showing posts with the label नंगा बदन

लम्हों से

रूबरू हुआ तरसते हुए कुछ बीते हुए आजाद लम्हों से, चाहत थी समेटकर रख दूं जिंदगी इन बेताब लम्हों से। नासाज सी दिखी निगाहों में सारी दुनिया आज क्यों, अब क्या ख़ाक सो पाउँगा होके र...

उधेड़बुन में...

उधेड़बुन में अपनी तमाम गलियों से भटक आया हूँ, कि शाम फिर ढ़ल गयी मैं अपने घर लौट आया हूँ। घर में रखी हर एक शय मुझसे गुफ्तगू किया करती है, जरा से बाहर आँगन के अपनी ख़ामोशी छोड़ आया हू...