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बेख़बर होके...

बेख़बर होके देखता हूँ कि मुझे कितनी खबर रहती है, अब तो अपनी ही तलाश मुझे दरबदर रहती है। खुद के पास बैठ के जाना कि मैं कौन हूं, कैसा हूँ, ख़्वाहिश अपने नए पहलू की मुझे अब हर सफर रहती ...