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बचपन के गलियारों में।

वो जो स्कूल के पीछे गलियारा है न साथी तुमने एक कंकड़ उठाकर उसमे ठहरे हुये पानी पर मार दिया छपाक से जो जमा हुआ था पिछले दिन की बारिश में खूब बरसा था आसमान, और हलचल मुझे आज अरसों ...