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Showing posts with the label पसीना

चढ़ाई...

उसने वेदना के भीतरी स्वरों को महसूस करते हुए वो जो बहते हैं तुम्हारी आँखों की गहराइयों से और गिरकर जमीन पर पसीने की बेरंग शक्ल में खुशबू पैदा करती है मिट्टी में, अपना हाथ ब...

खलिहान में वो

खलिहान में वो...... धधकती धूप में सर पर कपड़ा रखके हांफते बैलों की साँसों को हल्का करके कुछ देर सुस्ताने पेड़ की छांव में आया है वो। वाकिफ़ है वो हर पहलू से खलिहान के क्योंकि अक्सर ...