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हमारा होना

तुम्हारे न होने में  तुम्हारे होने की प्रतीति गहन होती है, और तुम्हारे होने पर  मेरा न होना  मेरे होने के आच्छादन में छिप जाता है, हमारे न होने से घिरा है हमारा होना,  और हमारा होना प्रतिबिंबित है हमारे न होने में हमारा होना पूरा है ठीक वैसे ही जैसे हमारा न होना हमारे होने की पूर्णता से ही हमारे न होने की पूर्णता पदार्थ की चेतनता पर बिंबित है प्रेम उसी एक्य की तरफ यात्रा है जहां द्वैत के सारे अध्यास अद्वैत के सागर में डूब जाते हैं अनपढ़  2 जून 2024

लहू का गाढ़ापन

मैं उसके लब्जों के वेग को सह रहा था अपनी छाती पर, उसने कहा कि मेरी रगों में बहता हुआ लहू, बहुत गाढ़ा हो रहा है और इतना कि जान पड़ता है नशें फटने वाली हैं, इससे पहले कि ये फटें, इनमे ब...

क्या इस बीच...?

नज़र नही आता एक कतरा भी रौशनी का कि मैने जान के खुद को बाँधा या मैं बंधता चला गया, लेकिन बहुत वक़्त तक भटकाव ने चोटिल किया फैली हुई जमीन जो कि दिल और दिमाग के बीच है वहीं पर। इस बी...

मत दोहराओ उसी बात को हर बार...

कि मैं नहीं हूँ, कहीं भी तो नही हूँ अब हाँ कि तुम हो उथल-पुथल रख देते हो उधेड़कर हर एक सिली हुई चीज को और मैं गुम हो जाता हूँ खामोशी के निर्मम अंधेरों में। बहुत गहरी उम्मीदें रही ...