कि हाँ तुम ही तो, सबसे बेहतर साथ हो तुम मेरा,
हर एक आरजू, हर मुलाक़ात ,हर जज्बात हो तुम मेरा।
किसी भी फलक में तुमसे बातें सुकून का चेहरा दिखाती हैं,
कि रूबरू हर रंग से ... और हर हालात हो तुम मेरा।
कि साथ हो न हो किसी का उम्र भर चाहे,
सब अकेला छोड़ दें तो बस ...एक साथ हो तुम मेरा।
कि तनहाई घुलती हुयी काली रात सी हो गयी,
जो सहारा भटकती रातों में दे ...वो हाथ हो तुम मेरा।
कि मुनासिब है वक़्त दूं खोल के दिल की खिड़किया सारी,
तुम ही मैं, मैं ही तुम हाँ ...हर एक एहसास हो तुम मेरा।
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'अनपढ़'
31 दिसंबर 2017
बेहतरीन वर्णन
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