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सफ़र

सामने निगाहों के साया एक नजर आता है, हर एक शय बिखरती है बस वक़्त ठहर जाता है। ख़्वाहिश है पहुँचने की तेरे आशियाँ पे ऐ सुकूँ, पर रस्ते में कहीं एक वीरान शहर आता है। कोशिश में हूँ ज...

रात को शहर कर देता है...

आहटों का टपकता सिलसिला ज़हन को तरबतर कर             देता है, कि ख़याल तेरे आने का हर पल मुझे बेखबर कर देता है। पुराने हंसी मौसमों का असर आज कुछ ऐसा कि, मेरे दो क़दमों के चलने को एक ...