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Showing posts with the label तलाश

बेख़बर होके...

बेख़बर होके देखता हूँ कि मुझे कितनी खबर रहती है, अब तो अपनी ही तलाश मुझे दरबदर रहती है। खुद के पास बैठ के जाना कि मैं कौन हूं, कैसा हूँ, ख़्वाहिश अपने नए पहलू की मुझे अब हर सफर रहती ...

कुछ ढूंढता हुआ......

कुछ ढूंढता हुआ...... कि एक कहानी शुरू करूँगा मैं इससे पहले गहरी एक सांस ले लूं, जी भर के बातें करूँगा हर एक किरदार से मैं और कोशिश करूंगा समझने की हालातों को नायक के कि हर एक पहलू ख...

"गुजरता जा रहा है"

काफिला लम्हों का बस गुजरता जा रहा है, कि ये वक़्त हर पल बस बदलता जा रहा है। उदास बिखरा पड़ा है ये शहर मेरे सामने, कि होने को है बहुत कुछ और ये सिमटता जा रहा है। तलाश में गुम हैं निगा...