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अकेलापन...

अकेलेपन को उड़ेलते हुए चाहती है ये कलम जी जान से कि, यूं ही लगता रहे ढ़ेर सादे कागजों का एक विशालकाय पहाड़ की तरह; जिसकी गहनाती हुई सादगी हर किसी के गले नही उतर पाएगी, जरूरत है कि ...