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वक्त की झुर्रियां...

तुम उठाकर ले आओ उन्हें ले आओ इकट्ठा कर के जितना बटोर पाते हो वो जो लम्हे बिखरे हैं जगह-जगह और बेहोश पड़े हैं वहाँ इंसानों की शक्ल में जहाँ वे अनगिनत लोगों की ठोकरों से लहू लुह...