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बचपन के गलियारों में।

वो जो स्कूल के पीछे गलियारा है न साथी तुमने एक कंकड़ उठाकर उसमे ठहरे हुये पानी पर मार दिया छपाक से जो जमा हुआ था पिछले दिन की बारिश में खूब बरसा था आसमान, और हलचल मुझे आज अरसों बाद महसूस होती है जहाँ पर गिरा कंकड़ उसके चारों ओर उठती हैं तरंगें; तुमने अपनी स्वेटर देखी? उसका बाजू देखना काला पड़ चुका है नाक साफ करते हुए और वो जूते देखो काले जूते पूरी गीली मिट्टी ने खुद को ओढ़ दिया है। अरे रे बैठो बैठो गुरुजी आ गए दिखता है ये टाट तो ठीक कर लो यार, यार वो जो दिया था याद करने को वो पाठ और कुछ प्रश्न और होमवर्क वो हुआ है क्या? बहुत कंपकपाती ठंड है आज भी है बरसों पहले भी थी आज सभी न जाने कहाँ कहाँ रोजगार के सिलसिलों में है कोई मुलाक़ात नही हो पाती बातचीत नही हो पाती हां सब लोग उम्मीद जरूर लगाए हुए हैं बातें भी करते हैं कि मिलकर खूब बातें करेंगे। गए सालों में जो सर्दियाँ थी और उनमें जो बारिशें थी वो बहुत करीब थी हमारे हमें छुआ करती थी भीतर तक आज नही है साथी। एक हाथ मैली पैंटों की जेब में और एक हाथ एक दूसरे के गले में डालकर चलें क्या उसी गलियारे में बेफिक्