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Showing posts with the label अंधेरा

आवाज।

वो लालटेन तो नहीं लगती पर कुछ रौशनी सी है तुम्हे क्या लगता है उस पहाड़ी पर कोई लालटेन लिए होगा? इस घने अंधेरे में वो जो साये दिखते हैं बड़े पेड़ों के तुम उनसे मिले हो कभी? कहीं भी ...

ख़ामोश सिसकियाँ...

एक ख्वाब उतरकर तुम्हारी आँखों से गुम है मेरे उन अश्कों में जो सिर्फ अंदर ही रह गए। उम्मीद की छड़ी टेके हुए उन आंखों में ख्वाबों की खिड़की से तमाम रौशनी घर की हर एक चीज को रोशन क...