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Showing posts from September, 2018

न जाने कितने चेहरे...

ऐ चाँद चांदनी भर नजर मुझे दे दे खुद को देखना है कि दुनिया बहुत देख ली सूरज के उजालों में। फैली है नफरत हर जगह बिखरा पड़ा है लहू कि आदमी खाने लगा है नोचकर आदमी को ही। हर शाम थक हा...

अकेली है वो...

अकेली है वो... हर एक पहलू बीमार है अस्तित्व का, आवाज कराहती है मांगती है मौत, कि खंडहर सा लगता है घर उम्मीदों का, मुर्दा सा लगता है वो बुजुर्ग बदन। तीन बेटे हैं उसके नही है कोई आस...

O’ TRAVELER OF THE NOONTIME

O’ TRAVELER OF THE NOONTIME (translation from original garhwali "dofra ka batoi" by N. S.  Negi,) O’ traveler of the noontime In the shade of love Lighten up for a moment Lighten up. With the heart craving adequate How far will you walk? Lighten up for a moment. Everything, all the rills and rivers are waterless Gone the glow of my face Eyes no longer have tears No… do not let the hopes die O’ traveler of the noontime In the shade of love Lighten up for a moment. From roots of oak tree Chagal is full with water (Chagal – a kind of pot made by wool keeping water cold) Drink till satisfaction Desires remain not forever. Who’ll give you a voice tomorrow? O’ traveler of the noontime Lighten up for a moment. You are entrapped within the transient beauty Never went profound into the spirit I burnt inside but you never stirred ashes Ruthless, merciless you are O’ traveler of the noontime In the shade of love Light...

कोई ख़्वाब नही है ये.....

कोई ख़्वाब नही है ये..... एक खुली वीरान जगह और मुझे बांध रखा है रस्सियों से नफ़रत की चारों तरफ पसरा हुआ है एक सन्नाटा एक खालीपन स्याह रात सा जो निघल लेती है सारा उजाला भीतर अपने, बह...

कुछ ढूंढता हुआ......

कुछ ढूंढता हुआ...... कि एक कहानी शुरू करूँगा मैं इससे पहले गहरी एक सांस ले लूं, जी भर के बातें करूँगा हर एक किरदार से मैं और कोशिश करूंगा समझने की हालातों को नायक के कि हर एक पहलू ख...

चाँद

चाँद चाँद की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि आप इसको जितनी देर हो सके देख सकते हैं। ये आपकी आंखों को चुभेगा नही सूरज की तरह। इसको देखना सिर्फ सुकून देगा। आँखों को जहन को। आंखों क...

धूल खाती किताबें।

बीत गया है, एक बहुत बड़ा हिस्सा वक़्त का गौर नही किया किसी ने सजी हुई किताबों पर लाइब्रेरी में। इन किताबों के शब्द बेजान तो हैं पर रखते हैं खुद में जिंदादिली। न जाने कितनी हैं ...

मगर साथ तुम न थी...

सफर हंसी था तो मगर साथ तुम न थी फिजायें थी खुशनुमा बहुत मगर साथ तुम न थी। घरौंदे रेत के बनाये कई मैंने और उनमें मुद्दतों मैं रहा भी मगर साथ तुम न थी। महकते दरख्तों की शाखों पे ...

खलिहान में वो

खलिहान में वो...... धधकती धूप में सर पर कपड़ा रखके हांफते बैलों की साँसों को हल्का करके कुछ देर सुस्ताने पेड़ की छांव में आया है वो। वाकिफ़ है वो हर पहलू से खलिहान के क्योंकि अक्सर ...

Saawan

Saawan In the month of Saawan Misty all around, how to survive beloved mother of mine, The dark night With drizzling outside and brimful memories of thine. Beyond mountains heavy roar of clouds Ruthlessly it starts raining Baaduli I do have In the month of Saawan  The rills and mountains make boisterous sound You at alien land and lonely I at home My heart dreads In the month of Saawan Children at home, work remains undone in fields Pathetically it rains and I need to collect grass too Uptight my clothes are In the month of Saawan Alone I am with delicate heart of mine This entire monsoon tears enough From my eyes would flow In the month of Saawan Gone the days of heavy rains Gone the monsoon but my eyes remains wet How they’ll get dry In the month of Saawan             Trans on : Aug/20/2018              Copy @ Deepak Bijalwan (I trie...