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कोई ख़्वाब नही है ये.....

कोई ख़्वाब नही है ये.....

एक खुली वीरान जगह
और मुझे बांध रखा है
रस्सियों से नफ़रत की
चारों तरफ पसरा हुआ है
एक सन्नाटा एक खालीपन
स्याह रात सा
जो निघल लेती है सारा उजाला
भीतर अपने,
बहुत सहमी हुई हूँ
डर एक आदमखोर सा
निघल जाएगा मुझे
तरबतर है जहन
पसीने से
कि यहां भी डूबने का डर है।

चारों तरफ
बहुत पैनी आरियाँ
तुम्हे काटने को दौड़ रही हैं
और उनकी आवाज
कानों से होकर
गुजर रही है
ये महसूस कराते हुए कि
आपकी छाती को नोचकर
चाकू से
निकाल रहे हों
दिल आपका जैसे,
आरियाँ
तुम्हे छूने को थी कि
वो औरत
बहुत डरावनी शक्ल की
मेरे बहुत करीब आकर
कहती है
मुझे झकझोर के
कि कोई ख्वाब नहीं है ये,
हकीकत है हर पहलू
अपनी खुली आँखों को
थोड़ा और खोलकर देखो
कोई भूल मत करना
इसको ख्वाब समझने की।

और वो आरियाँ
लहू-लुहान कर देती हैं
काटकर तुम्हे,
कुछ ही पलों में
आँखों में सिर्फ खून नजर आता है
बहुत डरावना दृश्य है,
चारों तरफ, हर कहीं
सिर्फ खून ही खून है।

मैं देखना नही चाहती
कटते हुए बदन की तरफ तुम्हारे
पर वो औरत
हर एक कोशिश करती है
बार-बार
कि मैं देखूं तुम्हारी तरफ
लेकिन मैं नही देखती।

मैं जागती हूं नींद से
इसी बीच,
और सहमी निगाहों में
नजर आते हो सिर्फ तुम
फिर सोचती हूँ कि
क्या ये सपना था?
लेकिन फिर वो औरत
सामने आती है
और कहती है कि
कोई भूल मत करना
इसको ख्वाब समझने की।

16 सितंबर 2018
Copyright@ ,' अनपढ़'

Comments

  1. ख़्वाब दर्दनाक है या वो औरत जिसने उसे दर्दनाक बनाने का कृत्य किया😎
    उम्दा sir

    ReplyDelete

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Dr. Deepak Bijalwan
Poet, Translator

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