तुम थी? एहसास नहीं था
कि तुम हो
चुप...चुपचाप सरककर
चुप हो गया
इसी बीच तुम चुपके से आई
और मुझे चुप के वृत्त में
त्रिज्या से लटककर रहना पड़ा
तुम आयी? एहसास नहीं था
कि तुम आयी
केंद्र से निकलती हुई तुम्हारी ऊर्जा
मुझे उसकी परिधि में
समा रही थी
केंद्र में तुम थीं? एहसास नहीं था
कि केंद्र में तुम थी
तुम एहसास थी
जो चुपके से
एहसास हो गयी
और मैं हवा में उड़ते हुए रंग
तरंगित होते देख रहा था।
18 मार्च 2021
अनपढ़
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ReplyDeleteअति सुन्दर!
ReplyDeleteशानदार डा०साब साब
ReplyDeleteशानदार गुरूजी
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