साथ होना
हम दोनों एक साथ
रात और दिन के एक साथ
होने के बारे में सोच रहे हैं
तुम अपने साथ
मेरे साथ होने के एहसास को रखती हो
और मैं तुम्हारे होने का अहसास
अपने वजूद के एहसास में तलाशता हूँ।
इसी साथ होने को जब
हमने साथ न होने पर सोचा होगा
तो साथ होना कैसा रहा होगा
एक खूबसूरत सपने के जैसा
जो नींद के पहलुओं में
उड़ते रंग के जैसा हो।
यही वो वक़्त है जब
वक़्त की धड़कनों को
महसूस किया जा सकता है।
'अनपढ़'
दीपक बिजल्वाण 'अनपढ़' गढ़वाल विश्वविद्यालय में शोधार्थी हैं। "Pages of My College Diary" और "A Stream of Himalayan Melody: Selected Songs of Narendra Singh Negi" दो चर्चित पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं।
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