छः फलकों के बीच
ढ़का हुआ एक कमरा है वक़्त
तीन खुली आँखें हैं जिसकी
जो टिकी हुई हैं खिड़कियों की कोहनी पर,
एक आगे, एक पीछे
और एक आँख में आँख डालती हुई।
बाहर के किसी भी दृश्य को हम
देख तो सकते हैं
पर उसमें विलीन नहीं हो सकते
कमरों के बीचों बीच
घटित हो रहा है सब कुछ;
ब्रह्मांड का एक लेशमात्र हिस्सा
होने के बावजूद भी
हम एक गुरुत्वाकर्षण के साथ
बहुत कुछ समेट कर
अपने आप में चल रहे हैं
और एक वक़्त अपनी मुट्ठियों में
दबाकर चलते हैं हम
जो फिर एक कमरे की तरह है
छः फलकों के बीच ढ़का हुआ
और देख रहे हैं हम
सब कुछ घटित होता हुआ
क्योंकि सभी कुछ
एक ही वक़्त घटित हो रहा है।
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'अनपढ़'
19 मई 2019
Wow.. amazing
ReplyDeleteNice one.
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