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वक्त की पीठ पर...

एक झल्लाहट के साथ
रो उठता है वो
जब हाथ से
पकड़ छूट जाती है रस्सी की
जिससे बंधा है
वो खच्चर
जो अक्सर मौका मिलते ही
भाग जाता है।

एक बड़ा हिस्सा
बिताने के बाद वक़्त का
(जिसका हर पल
एक मुर्दा उम्मीद को
लटकाकर गले मे
पहाड़ के ऊबड़ खाबड़ रास्तों में
कंकड़ों से मिट्टी बना रहा था
उसकी जिंदगी के एक हिस्से को
जो कि धरती में मिलकर
किसी बीज को अंकुरित करने में
सहायक होगा)
पकड़ लेता है उसको
कि अब
सांस लेती हुई
ढ़लान उतरकर
नीचे नदी की तरफ जाएगा वो
उसको रेत जो लानी है
इकट्ठी करके
लाद के खच्चरों में,
क्योंकि उसी से
जितनी भी होगी
एक छोटी सी कमाई
वो बंट जाएगी
न जाने कितने हिस्सों में,
जगहें तैयार हैं
उस छोटी सी कमाई को
समेटने के लिए
खुद में।

चाहे वो स्कूल की फीस हो
या राशन हो घर का
या कुछ पुराना कर्ज
पिता का
जो कि नहीं हैं अब;
या फिर थोड़ा बहुत दाना
खच्चरों के लिए
ताकि सिलसिला ये
चलता रहे
वक्त की पीठ पर
जिंदगी को लादने का।

वक्त मानो
उस भागते हुए खच्चर की तरह है
जो लंबी छलांगे मारकर
हमारे पास से
खिसकता जाता है और
आप अगर थोड़ा सा
सुस्त पड़ जाते हैं
या रुक जाते हैं
किसी उधेड़बुन में
तो ये आपके हाथ से
रस्सी की मामूली सी
पकड़ छुड़ाकर
भाग जाता है,
हालांकि वक्त से बंधी रस्सी
आप कभी पकड़ नही सकते।

हर एक पहलू में मौसम के
हर पहर
जी जान से काम करने के बाद
उसका चेहरा
बिल्कुल धूमिल हो गया है
उजाड़ सा लगता है
एक टूटी हुई काँच की
तस्वीर की तरह
और
आँखों के नीचे
गड्ढे पड़ गए हैं
जिनमें कई ख़्वाब
दफ़्न नजर आते हैं
या कुछ सिसकियाँ लेते हुए,
जबकि सोलह या सत्रह साल में है अभी
और उसका भाई
एकाध साल छोटा है उससे
वो दोनों उस कहानी को
पूरा करने में लगे हैं
कि जिसके सभी किरदार
पहाड़ से खिसके हुए
पत्थरों के समान हैं
या फिर पर्दे के पीछे
सजाने में लगे हैं सामान
नाटक का,
बहुत लोग जुड़े हैं कड़ी में
शायद एक कविता इन्हें
समेट पाए या नहीं
लेकिन
इन्हें केवल
एक कविता ही समेट सकती है।

(आत्मकथात्मक)
7 अक्टूबर 2018
Copyright @
'अनपढ़'

Comments

  1. मार्मिक
    Stupendous sir🤗

    ReplyDelete
  2. From Past experience of our life we learnt the best lesson of life, which source is not to be other,
    And poem is also great dear like you pandit ji,

    ReplyDelete
  3. पहाड़ों की विषमताओं से रूबरू जीवन गाथा।।।

    ReplyDelete
  4. Hey!! Nice work. I would like to talk to you regarding some collaboration if you can provid some contact detail it will be benificial for both of us. https://alokssingh.github.io/ you can get my contact detail by visiting this website. Please let me know.

    ReplyDelete

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Dr. Deepak Bijalwan
Poet, Translator

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