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Showing posts from June, 2024

हमारा होना

तुम्हारे न होने में  तुम्हारे होने की प्रतीति गहन होती है, और तुम्हारे होने पर  मेरा न होना  मेरे होने के आच्छादन में छिप जाता है, हमारे न होने से घिरा है हमारा होना,  और हमारा होना प्रतिबिंबित है हमारे न होने में हमारा होना पूरा है ठीक वैसे ही जैसे हमारा न होना हमारे होने की पूर्णता से ही हमारे न होने की पूर्णता पदार्थ की चेतनता पर बिंबित है प्रेम उसी एक्य की तरफ यात्रा है जहां द्वैत के सारे अध्यास अद्वैत के सागर में डूब जाते हैं अनपढ़  2 जून 2024