Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2019

लिफाफे

मेरे इर्द-गिर्द खामोश लब्ज़ एक आवाज को अपनी जेबों में छुपाये हुए हैं पर वक़्त की हर आँख में वही दृश्य नहीं है। उस वक़्त जब बेचैनी के तमाम टुकड़े हवा में उड़ते हुए आते हैं और मेरी आँखों के जरिये धँस जाते हैं हृदय में तब लब्ज़ अपनी जेबों को टटोलते हुए बेचैनी के एकान्त घरों की वीरान खिड़कियों पर लिफाफे डाल जाती हैं जिनके अन्दर कविताओं से मेरी मुलाकात होती है। 08 अप्रैल 2019 Copyright @ 'अनपढ़'